समुद्र से रेत तक, हम इस भूमि की पूजा करते हैं समुद्र से रेत तक, हम इस भूमि की पूजा करते हैं
लेखक : राजगुरू दत्तात्रेय आगरकर अनुवाद : आ. चारुमति रामदास। लेखक : राजगुरू दत्तात्रेय आगरकर अनुवाद : आ. चारुमति रामदास।
लेखक : ह्यू लॉफ्टिंग स्वैर अनुवाद : आ. चारुमति डॉक्टर बच गया! लेखक : ह्यू लॉफ्टिंग स्वैर अनुवाद : आ. चारुमति डॉक्टर बच गया!
उसके पास सारे अधिकार ज़रूर है परन्तु कुछ भी करने की शक्ति नहीं। उसके पास सारे अधिकार ज़रूर है परन्तु कुछ भी करने की शक्ति नहीं।
मगर इस वाले कानू में सुख था, संतुष्टि थी और गर्व था। मगर इस वाले कानू में सुख था, संतुष्टि थी और गर्व था।
क्योंकि सहनशीलता की भी तो पराकाष्ठा होती है। क्या नहीं।? क्योंकि सहनशीलता की भी तो पराकाष्ठा होती है। क्या नहीं।?